फिरोजाबाद। कहते हैं हर कामयाब व्यक्ति के जीवन में एक गुरु, उस्ताद, एक शिक्षक का महत्व सबसे बड़ा होता है। मैं रीना खान ये मानती हूं एक बच्चे को जन्म बेशक माता पिता देते हैं लेकिन दुनियां में वो बच्चा अपने गुरु की आंख से देखना परखना सीखता है। ये बात सच है कि बच्चे की पहली टीचर मां होती है लेकीन एक गुरु उसी बच्चे को दुनियां का टीचर बनाता है। अर्थात उसे शिक्षा का ज्ञान देकर समाज में खड़े होने का सम्मान दिलाता है, बिना किसी स्वार्थ के एक अच्छा इंसान बनाता है। मेरा मानना ये है कि इस दुनियां में हर रिश्ता स्वार्थी होता है लेकिन एक गुरु और शिष्य के पवित्र रिश्ते का कोई मोल नहीं है।
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*ईश्वर, अल्लाह मेरे लिए मेरे गुरु-रीना खान*
आज गुरु पूर्णमा के अवसर पर मैं रीना खान यह कहना चाहती हूं कि मेरे गुरुओं ने मुझे इस काबिल बना दिया कि आज में उन्हीं के दिए हुए ज्ञान के माध्यम से ये आर्टिकल लिख रही हूं। मैं मानती हूं मेरी जिंदगी में मेरे शिक्षकों, गुरुओं, मेरे उस्तादों का दर्जा भगवान, ईश्वर, अल्लाह से ऊपर है, हम ऐसे भी कह सकते है धरती पर गुरु ही भगवान है। और इस बात को कहने में मुझे कोई संकोच नहीं कि मेरे जीवन में मेरे गुरु मेरे माता पिता से भी ऊपर हैं। अब में बात करती हूं मेरे जीवन में मेरे गुरुओं का क्या योगदान रहा है। तो मैं यहां बताना चाहूंगी कि बेशक मुझे मेरे माता पिता ने जन्म दिया लेकीन मेरे गुरुओं ने मुझे संवारा, मैं एक कोरा कागज़ थीं लेकिन मेरे सम्मानित सभी गुरुओं ने मुझ पर शब्दों से लिखावट की। समाज की दुनियांदारी, समाज में खड़े होने के लायक, समाज में बोलने के काबिल, समाज को सही गलत पहचानने की परख मेरे गुरुओं ने ही मुझे दी। बच्चा जब बड़ा होता है, जब वो समझदार होता है तो माता पिता की छत्रछाया से वंचित हो जाता है और मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ, लेकिन मेरे गुरुओं ने मुझे इंसान बनाकर मुझे एक पहचान दी। उन्हीं का विश्वास और ज्ञान है जो आज मैं रीना खान बनकर उभरी हूं।
*गुरुओं का धन्यवाद*
मैं आज गुरु पूर्णमा दिन अपने सभी गुरुओं का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं, उन्हें धन्यवाद ज्ञापित करना चाहती हूं। और बार बार दोनों हाथ जोड़ कर उनको सादर प्रणाम, सलाम करना चाहूंगी मुझे सम्मान दिलाने के लिए। मैं गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर अपने सभी गुरुओं से ये वादा करना चाहती हूं कि उनके बताए रास्ते पर चलकर उनके मार्गदर्शन अनुसार में अपने जीवन की सीढ़ियों को चढ़ती रहूंगी। मेरे द्वारा ऐसा कोई कार्य नहीं किया जाएगा जिससे मेरे गुरुओं का सिर झुकने की बात आए। उनके द्वारा मेरे अंदर जो ज्ञान की ज्योत जगाई है उसे मैं रीना खान कभी बुझने नहीं दूंगी। आज के दिन मेरे पास धन्यवाद के अलावा अपने गुरुओं को देने के लिए कुछ भी नहीं लेकिन मैं अपने सभी गुरुओं से आग्रह करती हूं कि मेरे सिर पर वो अपना हाथ बनाए रखें इसके लिए मैं उनकी हमेशा ऋणी रहूंगी।
*मेरे सभी गुरुओं के नाम इस प्रकार हैं*
मेरे जीवन के सबसे शुरुआती गुरु मुईन सर जिन्होंने मुझे प्ले केजी से ज्ञान देना शुरू किया, उसके बाद मेरे जीवन के दूसरे गुरु इमरान सर जिन्होंने मुझे कक्षा में बैठना सिखाया, उसके बाद मेरे जीवन में आर्थिक रूप से मदद करके शिक्षा दिलाने वाले गुरु मोहम्मद दिलशाद सर रहे है। उसके बाद मुझे कक्षा के साथ ट्यूशन देनी वाली शिक्षिका निशा मैम और असमा मैम रहीं। फिर मुझे बोर्ड की परीक्षा के काबिल बनाने वाले और मेरा नामकरण करने वाले मुझ पर भरोसा दिखाने वाले मेरे गुरु यकीन सर रहे, जिनके द्वारा मेरी जिंदगी की तरक्की के द्वार खुलना शुरु हुए। बोर्ड की परीक्षा के बाद मेरी उच्च शिक्षा के द्वार खुलना शुरु हुए और मेरे सफर की शुरुआत पहले कानपुर से हुई फिर मैं आगरा के लिए चल पड़ी। मैंने अपने इस पूरे जीवन चक्र में ये देखा कि मेरे सभी गुरुओं ने मुझ पर मुझसे ज्यादा भरोसा किया।
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*आईएएस पीसीएस की तैयारी का सफर*
मुझे आज भी बहुत अच्छे से याद है कि तिलमिलाती गर्मी थी दोपहर के करीब 2 बज रहे थे और मैं आगरा की एक सिविल सेवा की तैयारी कराने वाली संस्थान में पहुंचीं, मेरे जीवन के अब तक के सफर में वो मेरे ऐसे गुरु रहे जिन्होंने मुझे देखकर बोल दिया था कि तुम आईएएस बन गईं। मैंने जब ये बात सुनी थी मैं भी अचंभित थी लेकिन मेरे सपने को पहली बार किसी ने बिना कुछ जाने समझ लिया था। उस महान हस्ती का नाम है मुकेश कुमार यादव उर्फ कुमार सर। मैं मानती हूं कि मैं एक आईएएस अधिकारी तो नहीं बन पाईं उसके पीछे वजह रहीं लेकिन मैंने उनसे अपने जीवन में सिर्फ एक बात सीखी जिसे मैं आज भी फॉलो करती हूं।वो बात मुझे आज भी बहुत अच्छे से याद है कुमार सर हमेशा कहा करते थे कि बच्चों कोई भी कार्य करने के लिए एक बार नही एक हजार बार सोचो और एक बार सोच लो तो दोबारा सोचने की गलती मत करो अपने फैसले, अपने लक्ष्य पर अटल रहकर उसमें जुट जाओ और मुकाम हासिल करो। कुमार सर की ये बात मुझे हमेशा प्रेरणा देती है और मैं रीना खान अपने जीवन में सदैव इस को याद रखूंगी। आज गुरु पूर्णिमा के दिन मैं कहना चाहती हूं कुमार सर के बताए हुए मार्गदर्शन पर चलूंगी, उनका सिर कभी नहीं झुकने दूंगी, उन्हें अपने इस शिष्य पर हमेशा गर्व होगा।
*पत्रकारिता के गुरुओं ने सिखाए सच्चाई के गुण*
मुझे आज भी याद है जब मैंने इस कार्यक्षेत्र में कदम रखा था, मेरे गुरु मेरे उस्ताद ने मुझे भाषा का ज्ञान दिया, मेरे गुरु ने मुझे शब्द दिए, आज मैं इस बात को बिना शर्म और झिझक के कहना चाहूंगी कि मुझे इलेक्ट्रोनिक मीडिया की एबीसीडी मेरे गुरु मोहम्मद शाहिद सर ने सिखाई। कड़ी मेहनत के बाद मुझे एक अच्छा पत्रकार बनाने का इल्म दिया। लेकिन यहां एक मजे की बात देखिए मैं आज भी शव को सब, चश्मे को चस्मा बोलती हूं, लेकिन आज मैं रीना खान अपने उस्ताद अपने गुरु से ये वादा करती हूं कि उनके द्वारा बताए गए रास्ते पर चल कर एक और अच्छी पत्रकार बनने की कोशिश करूंगी।
*खोजी खबर के गुरु दिलीप अंकल*
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पत्रकारिता दो प्रकार से होती है, एक वो जो फोटो वीडियो के जरिए की जाती है और दूसरी वो जो कागज पर छापकर की जाती है। गुरु पूर्णिमा के दिवस पर मैं बताना चाहूंगी कि जनपद फिरोजाबाद की विधानसभा सदर के विधायक मनीष असीजा जी वो हमेशा कहते हैं कि बिटिया रानी तुम खोजी पत्रकारिता करती हो। तो आज मैं अपनी खोजी पत्रकारिता के जन्मदाता, अपने गुरु का परिचय देना चाहूंगी, तो बता दूं प्रिंट मीडिया जगत के 20 साल पुराने कलम के सिपाही सम्मानित दिलीप शर्मा अंकल जी ने ही मुझे इस काबिल बनाया कि मैं खबर की तुलना करना सीख लूं, खबर को कैसे लिखूं, खबर का आधार कैसे लिखा जाए, खबर में हम क्या अलग लिख सकते हैं, खबर को कैसे खोजकर सच और झूठ में फर्क कर सकते हैं, ये सारे बिंदु मुझे मेरे गुरू के रूप में, एक पिता के रूप में मेरे दिलीप अंकल जी ने मुझे इस मुकाम पर खड़ा किया। और आज मैं अपनी काबिलियत से अधिकारीगण, नेतागण और आमजन से संवाद कर सकती हूं। मैं आज के लिए अपने अंकल जी के स्वास्थ्य की कामना करती हूं, उनकी दीर्घायु की भी प्रार्थना करती हूं और ईश्वर से ये दुआ करती हूं अंकल जी का हाथ मेरे सिर पर हमेशा बना रहे।
*खबरों की सत्यता के गुरु बने राजीव भैया*
मुझे आज भी याद है जब राजीव मुझे कुछ बताते थे तो ऐसा लगता था कि भैया हमेशा डिमोटीवेटेड करते हैं लेकिन जब बाद में सोचती थी मैं तो एहसास होता था कि मुझे ख़बर की सत्यता को पुष्टि करना दैनिक जागरण ब्यूरो चीफ राजीव ने सिखाया, आगे भी उनसे सीखने का अवसर मिलता रहेगा।
*समाज गुण सीखने में जफर सर आगे रहे*
जफर सर वैसे तो सामाजिक कार्यकर्ता हैं, लेकिन उन्होंने मुझे ये सिखाया कि आप किसी भी संस्थान के कार्यकर्ता बनें लेकिन अपने मूल कर्तव्यों को हमेशा याद रखिएगा।
*गुरु पूर्णिमा पर एक संदेश*
अंत में मैं रीना खान ये कहना चाहती हूं कि जब मैंने रात के दो बजे ये लेख लिखना शुरू किया था सुबह के 6 कब बज गए लिखते लिखते पता ही नहीं चला। आज गुरु पूर्णिमा के अवसर पर अपने सभी गुरुओं को धन्यवाद देती है और उनके बेहतर स्वास्थ्य की भगवान से प्रार्थना करती हैं। और आज मैं सभी शिष्यों भी कहना चाहूंगी कि अपने गुरुओं को अगर गुरु दक्षणा में कुछ दे सकते हो तो उनके बताए हुए मार्ग पर चलिए, उनकी दी गई शिक्षा से एक अच्छा इंसान बनिए और उनको गौरवान्वित महसूस कराइए यही आज उनकी असली गुरु दक्षणा होगी।
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