भाजपा कार्यकर्ताओं में दिखी उदासी, जमकर हुआ भितरघात

 फिरोजाबाद शिकोहाबाद (अब्दुल सत्तार) : लोकसभा चुनाव में चुनाव प्रचार तक भाजपा और इंडिया गठबंधन में कांटे की टक्कर थी। लेकिन प्रत्याशी की उदासीनता के चलते मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह कम दिखा। यह उत्साह मतदान वाले दिन और ज्यादा दिखाई दिया। वहीं कुछ क्षेत्रों में पार्टी में जमकर भितरघात भी हुआ। जो लोग पार्टी के साथ प्रचार-प्रसार के दौरान दिखाई दे रहे थे, वही लोग मतदान के दिन साइकिल में वोट डालते और डलवाते हुए दिखे।
मतदान के दिन भितरघात तो अक्सर होता ही रहता है। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव में यह काफी अधिक दिखाई दिया है। जिसका कारण भाजपा के स्थानीय नेताओं मे आपसी खींचतान भी रही है। और भाजपा द्वारा जिसे प्रत्याशी बनाया गया उसका भाजपा के आनुसांगिक संगठनों से तालमेल भी नहीं बैठा। जिसके कारण भी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने रुचि कम ली है। जिसका सीधा फायदा समाजवादी पार्टी और इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी अक्षय यादव को होता दिख रहा है। मतदान के दौरान विभिन्न क्षेत्रों के भ्रमण के दौरान वोटरों से बात करने पर यह पता चला कि भाजपा का कोर वोट कहा जाने वाला तबके में भी समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने सेंधमारी की है। जिसका भाजपा को नुकसान उठाना ही पड़ेगा। शिकोहाबाद, सिरसागंज, टूंडला और जसराना विधान सभा में यह भितरघात ज्यादा देखने को मिला है। कुछ गावों में तो भाजपा का बस्ता भी लगा नहीं मिला। जब इस संबंध में कुछ लोगो से बात की तो पता चला कि प्रत्याशी द्वारा चुनाव सही तरीके से लड़ा ही नहीं गया है। प्रत्याशी ने प्रत्येक पार्टी कार्यालय पर अपने रिश्तेदारों को तरजीह दी, जिससे स्थानीय कार्यकर्ता और पदाधिकारियों में अंदरूनी गांठ बनी रही। यह लोग खुल कर तो कुछ नहीं कह पा रहे थे, लेकिन मतदान के दिन इनके अंदर कोई उत्साह नहीं दिखा। जिससे स्पष्ट होता है कि भाजपा के प्रत्याशी की उदासीनता और कार्यकर्ताओं को तरजीह देना कहीं भारी न पड़ जाए।
*राष्ट्रवाद के नाम पर पड़ा भाजपा को वोट*
भाजपा को सिर्फ प्रधानमंत्री मोदी और उनके राष्ट्रवाद के नाम पर ही वोट पड़ा है। भाजपा प्रत्याशी ने क्षेत्र में उस तरह से जनसंपर्क और भ्रमण नहीं किया, जो एक प्रत्याशी को करना चाहिए। उसके लिए पार्टी द्वारा देरी से अपने उम्मीदवार की घोषणा करना भी एक वजह रही है। उसके साथ ही प्रत्याशी द्वारा लोकसभा के चुनाव को इतनी गंभीरता से नहीं लिया जितना इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी एवं सपा के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव रामगोपाल यादव ने चुनाव को लिया। प्रोफेसर और उनके पुत्र अक्षय यादव ने चुनाव से छह माह पहले ही पूरे जिले के प्रत्येक गांव और घर में अपनी दस्तक दे दी थी। जिसका आज उन्हें लाभ मिलता दिख रहा है। जिस तरह के जनता ने रुझान दिखाया है, उससे स्पष्ट होता है कि साइकिल की रफ्तार तेज है और उसे थामना जनपद में मुश्किल ही नहीं नामुमकिन लग रही है।
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